Tuesday, July 04, 2017

गुण से सम्बंधित प्रश्न, शब्द गुण या काव्य गुण किसे कहते हैं?

गुण से सम्बंधित प्रश्न!



 शब्द गुण या काव्य गुण किसे कहते हैं?

गुण रस का धर्म होता है। गुण ही रस के साथ अचल स्थिति होती है।जिस प्रकार धीरता, वीरता, सौम्यता आदि मानव व्यक्तित्व के सहज ही आकर्षित करने वाले गुण होते हैं, उसी प्रकार शब्द गुण या काव्य गुण काव्य की आत्मा रस का उत्कर्ष करते हैं। इसे ही शब्द या काव्य गुण कहते हैं।

Ye Vi Padhe 






 काव्य गुण के कितने भेद होते हैं?

काव्य गुण के तीन भेद होते हैं:-
1)-माधुर्य गुण
2)-ओज गुण
3)-प्रसाद गुण

 माधुर्य गुण किसे कहते हैं?

जिस रचना को पढ़ते-पढ़ते अन्तःकरण द्रवित हो उठे,वह रचना माधुर्य गुण वाली होती है। यह गुण संयोग श्रृंगार से करुण में, करुण से वियोग में और वियोग से शांत में अधिक अनुभूत होता है। ट, ठ, ड, ढ (कठोर वर्णों) को छोड़ कर मधुर एवं कोमल रचना माधुर्य गुण के मूल हैं। जैसे'क' से 'म' तक के वर्ण त्र, ड़, ण, न, म, से युक्त  वर्ण, ह्रस्व र और ण आदि।
उदाहरण:-
"कंकन किंकन नुपुर धुनि सुनि।
कहत लखन सन राम ह्रदय गुनि।।"
टीप:-
यहाँ घुंघुरू की आवाज सुनकर श्रीराम के मन में अनुराग पैदा होता है। इसलिए यहाँ माधुर्य गुण है। इसमें श्रृंगार रस, करुण रस, शांत रस आता है।

 ओज गुण किसे कहते हैं?

ओज वह गुण है जो ह्रदय में स्फूर्ति का संचार कर मन को तेजस्विता से भर दे। यह गुण वीर से वीभत्स में और वीभत्स से रौद्र में अधिक रहता है। इसमें संयुक्त वर्ण र के संयोग ट, ठ, ड, ढ, ण का  प्राचुर्य, समासाधिक्य और कठोर वर्णों की प्रधानता हो वहाँ ओज गुण होता है।
उदाहरण:-
"हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती" ।।

 प्रसाद गुण किसे कहते हैं?

जो रचना पढ़ते ही सरलता से समझ में आ जाए, वह रचना प्रसाद गुण से समन्वित होती है। यह गुण सभी रसों और रचनाओं में व्याप्त रह सकता है।
उदाहरण:-
"वह आता,
दो टूक कलेजे के करता, पछताता पथ पर आता।
पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को,
मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाया,दो टूक...."



ye vi padhe 



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