छंद किसे कहते हैं?
छंद के कितने अंग होते हैं?
छंद के छह अंग होते हैं:-
1)-चरण या पाद
(क) समचरण
(ख) विषम चरण
2)- वर्ण और मात्रा
(क) लघु या ह्रस्व
(ख) गुरु या दीर्घ
3)-यति
4)- गति
5)- तुक
6)-गण
चरण या पाद किसे कहते है?
चरण को पाद भी कहते हैं। एक छंद में प्राय: चार चरण होते हैं। चरण छंद का चौथा हिस्सा होता है। प्रत्येक पाद में वर्णों या मात्राओं की संख्या निश्चित होती है।
चरण कितने प्रकार के होते हैं?
चरण दो प्रकार के होते हैं:-1)-समचरण:-दुसरे और चौथे चरण को समचरण कहते हैं।
2)-विषमचरण:- पहले और तीसरे चरण को विषमचरण कहते हैं।
319. वर्ण और मात्रा किसे कहते है?
छंद के चरणों को वर्णों या मात्राओं की
गणनानुसार व्यवस्थित किया जाता है। छंद में प्रयुक्त अक्षर को वर्ण कहते हैं।
छंद के चरणों को वर्णों या मात्राओं की
गणनानुसार व्यवस्थित किया जाता है। छंद में प्रयुक्त अक्षर को वर्ण कहते हैं।
यह भी पढ़े - रस से सम्बंधित प्रश्न, रस किसे कहते हैं?
मात्रा की दृष्टि से वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
1)- लघु या ह्रस्व
3)-गुरु या दीर्घ
हिंदी व्याकरण - छंद किसे कहते हैं, छंद से सम्बंधित पूरी जानकारी विस्तार से पढ़े
मात्रा की दृष्टि से वर्ण कितने प्रकार के होते हैं?
मात्रा की दृष्टी से वर्ण दो प्रकार के होते है:-
1)- लघु या ह्रस्व
3)-गुरु या दीर्घ
लघु या ह्रस्व वर्ण किसे कहते है?
जिनके बोलने में कम समय लगता है,लघु या ह्रस्व वर्ण कहलाते हैं।
यथा -अ,इ, उ,ऋ , चन्द्र बिंदु( ँ) तथा इनके युक्त व्यंजन यथा-प,पि, पु, पृ,तथा पँ। इसका चिन्ह (l) खड़ी लकीर है।
गुरु या दीर्घ वर्ण किसे कहते हैं?
यथा -अ,इ, उ,ऋ , चन्द्र बिंदु( ँ) तथा इनके युक्त व्यंजन यथा-प,पि, पु, पृ,तथा पँ। इसका चिन्ह (l) खड़ी लकीर है।
जिनके बोलने में लघु वर्णों की अपेक्षा अधिक समय लगता है,वे गुरु या दीर्घ वर्ण कहलाते है।
यथा- आ,ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अनुस्वार(अं) और विसर्ग(:) तथा इनके युक्त व्यंजन यथा- पा, पी, पू, पे, पै, पो, पौ,पं, प:। इनका चिन्ह (s)है।
छंद में मात्रा से क्या अर्थ है?
वर्ण के बोलने में जो समय लगता है, उसे हम मात्रा कहते हैं अर्थात किसी वर्ण के उच्चारण काल की अवधि को मात्रा कहते हैं।
यति किसे कहते हैं?
इसे विराम और विश्राम भी कहते हैं। छंद का पाठ करते समय कुछ देर के लिए जहाँ रुकना पड़ता है, उसे ही यति कहते हैं। इसके लिए कुछ चिन्ह निश्चित होते हैं।जैसे:-
( , ), ( l ), ( l l ), ( ? ), ( ! ) आदि।
गति किसे कहते हैं?
किसी छंद को पढ़ते समय हम एक प्रवाह का अनुभव करते हैं, उसे गति या लय कहते हैं|
तुक किसे कहते है ?
1)- तुकान्त
2)- अतुकान्त
तुकान्त कविता किसे कहते हैं?
इसमें चरण के अंत में वर्णों की आवृत्ति होती है, तुकान्त कविता कहते है।
उदाहरण:-
" हमको बहुत है भाती हिंदी।
हमको बहुत है प्यारी हिंदी।".
अतुकांत कविता किसे कहते हैं?
उदाहरण:-
"काव्य सर्जक हूँ
प्रेरक तत्वों के अभाव में
लेखनी अटक गई हैं
काव्य-सृजन हेतु
तलाश रहा हूँ उपादान।"
गण किसे कहते हैं?
वर्णिक छंदों की गणना 'गण' के क्रमानुसार की जाती है। तीन वर्णों का एक गन होता है। गणों की संख्या आठ होती है।
जैसे:-
यगण, तगण, लगण, रगण, जगण, भगण, नगण और सगण।
गुणसूत्र:-
" यमाताराजभानसलगा "
जिस गण को जानना हो उस गण के पहले अक्षर को लेकर आगे के दो अक्षरों को मिलाकर वह गण बन जाता है।
जैसे:-
यमाता में l S S लघु गुरु गुरु यगण
छंद कितने प्रकार के होते हैं?
1)- मात्रिक छंद
2)-वर्णिक छंद
3)-वर्णिक वृत्त
4)-मुक्त छंद
मात्रिक छंद किसे कहते हैं?
सममात्रिक छंद किसे कहते हैं?
उदाहरण:-
"मुझे नहीं ज्ञात कि मैं कहाँ हूँ
प्रभो! यहाँ हूँ अथवा वहाँ हूँ।"
इसमें 11-11 मात्राएँ हैं।
अर्धमात्रिक छंद किसे कहते है?
जिसमे पहला और तीसरा चरण एक समान हो तथा दूसरा और चौथा चरण उनसे भिन्न हों किन्तु आपस में समान हों, उसे अर्धमात्रिक छंद कहते हैं। जैसे-दोहा छंद।
यह भी पढ़े - संधि किसे कहते है संधि कि पुरी जानकारी.
विषम मात्रिक छंद किसे कहते है?
वर्णिक छंद किसे कहते हैं?
जिन छंदों की रचना वर्णों की गणना के आधार पर होती है, उसे वार्णिक छंद कहते हैं। जैसे- दुर्मिल सवैया।
वृत्त किसे कहते हैं?
इसमें वर्णों की गणना होती है। इसमें चार समान चरण होते हैं और प्रत्येक चरण में आने वाले लघु-गुरु का क्रम सुनिश्चित होता है। जैसे- मत्तगयन्द सवैया।
मुक्त छंद किसे कहते हैं?
चरणों की अनियमित, असमान, स्वछंद गति और भाव के अनुकूल यति विधान ही मुक्त छंद की विशेषता है। इसे रबर या केंचुआ छंद भी कहते हैं।दोहा छंद किसे कहते हैं?
उदाहरण:-
Sll SS Sl S SS Sl lSl
"कारज धीरे होत है, काहे होत अधीर।
lll Sl llll lS Sll SS Sl
समय पाय तरुवर फरै, केतक सींचो नीर ।।"
सोरठा छंद किसे कहते है?
यह अर्धसममात्रिक छंद है। यह दोहा छंद के विपरीत होता है। इसमें प्रथम और तृतीय चरण में 11-11 तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण:-
lS l SS Sl SS ll lSl Sl
"कहै जु पावै कौन , विद्या धन उद्दम बिना।
S SS S Sl lS lSS S lS
ज्यों पंखे की पौन, बिना डुलाए ना मिलें।"
रोला छन्द किसे कहते हैं?
यह एक मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 11 और 13 के क्रम से 24 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण:-
SSll llSl lll ll ll Sll S
"नीलाम्बर परिधान, हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य चन्द्र युग-मुकुट मेखला रत्नाकर है।
नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारे मंडन है।
बंदी जन खग-वृन्द, शेष फन सिंहासन है।"
यह भी पढ़े - व्याकरण मे लिगं (Gender) क्या है पुरी जानकारी...
गीतिका छंद किसे कहते हैं?
उदाहरण:-
S SS SlSS Sl llS SlS
"हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये।
लीजिए हमको शरण में, हम सदाचारी बने।
ब्रह्मचारी, धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें।"
हरिगीतिका छंद किसे कहते हैं?
उदाहरण:-
SS ll Sll S S S lll SlS llS
"मेरे इस जीवन की है तू, सरस साधना कविता।
मेरे तरु की तू कुसुमित , प्रिय कल्पना लतिका।
मधुमय मेरे जीवन की प्रिय,है तू कल कामिनी।
मेरे कुंज कुटीर द्वार की, कोमल चरण-गामिनी।"
उल्लाला छंद किसे कहते हैं?
यह एक मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक चरण में15 और 13 की यति से कुल 28 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण:-
llS llSl lSl S llSS ll Sl S
"करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस वेश की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही, सगुण-मूर्ति सर्वेश की।"
चौपाई छंद किसे कहते हैं?
यह एक मात्रिक छंद है। इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में16 मात्राएँ होती है। चरण के अंत में गुरु (S ) और लघु(l ) नही होना चाहिए, पर्दों लघु ( ll ) या दो गुरु (SS) हो सकते हैं।
उदाहरण:-
ll ll Sl lll llSS
"इहि विधि राम सबहिं समुझावा
गुरु पद पदुम हरषि सिर नावा।"
हिंदी व्याकरण
बरवै (विषम) छंद किसे कहते हैं?
इसमें प्रथम और तृतीय चरणों में 12 तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में 7(सम) मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण:-
"चम्पक हरवा अंग मिलि अधिक सुहाय।
जानि परै सिय हियरे, जब कुम्हिलाय।।"
छप्पय छंद किसे कहते हैं?
इस छंद में 6 चरण होते हैं। प्रथम चार चरण रोला छंद के होते हैं तथा अंतिम 2 उल्लाला के होते हैं।
उदाहरण:-
"नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।
नदिया प्रेम-प्रवाह, फूल -तो मंडन है।
बंदी जन खग-वृन्द, शेषफन सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद है, बलिहारी इस वेश की।
हे मातृभूमि! तू सत्य ही,सगुण मूर्ति सर्वेश की।।"
कुंडलियाँ छंद किसे कहते हैं?
इसके 6 चरण होते हैं। आरम्भ के दो चरण दोहा तथा बाद के चार चरण उल्लाला के होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं।(13+11) दोहे का प्रथम चरण रोला के आरम्भ में रखा जाता है। दोहे का सर्वप्रथम रोला के अंतिम चरण के अंत में रखा जाता है। इस प्रकार इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं।
उदाहरण:-
"घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध।
बाहर का बक हंस है, हंस घरेलू गिद्ध
हंस घरेलू गिद्ध , उसे पूछे ना कोई।
जो बाहर का होई, समादर ब्याता सोई।
चित्तवृति यह दूर, कभी न किसी की होगी।
बाहर ही धक्के खायेगा , घर का जोगी।।"
उदाहरण:-
"घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध।
बाहर का बक हंस है, हंस घरेलू गिद्ध
हंस घरेलू गिद्ध , उसे पूछे ना कोई।
जो बाहर का होई, समादर ब्याता सोई।
चित्तवृति यह दूर, कभी न किसी की होगी।
बाहर ही धक्के खायेगा , घर का जोगी।।"
यह भी पढ़े - संधि किसे कहते है संधि कि पुरी जानकारी.
सवैया छंद किसे कहते हैं?
इसके प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। सवैया की कोटि में एक से अधिक छंद होते हैं।
1)- मदिरा सवैया (22 वर्ण, 7 भगण तथा अंत में एक गुरु) होते हैं।
2)- मालती या मत्त गयंद (23 वर्ण , 7 भगण तथा दो गुरु) होते हैं।
3)- दुर्मिल सवैया या चन्द्रकला (सुन्दरी) (24 वर्ण तथा 8 सगण) होते हैं।
उदाहरण:-
"लोरी सरासन संकट कौ,
सुभ सीय स्वयंवर मोहि बरौ।
नेक ताते बढयो अभिमानंमहा,
मन फेरियो नेक न स्न्ककरी।
सो अपराध परयो हमसों,
अब क्यों सुधरें तुम हु धौ कहौ।
बाहुन देहि कुठारहि केशव,
आपने धाम कौ पंथ गहौ।।"
मन हर, मनहरण, घनाक्षरी या कवित्त किसे कहते हैं?
यह वार्णिक सम छंद है। इसके प्रत्येक चरण में 31 वर्ण होते हैं तथा अंत में तीन लघु (l l l) होते हैं। 16, 17 वें वर्ण पर विराम (यति) होता है।
उदाहरण:-
"मेरे मन भावन के भावन के ऊधव के आवन की
सुधि ब्रज गाँवन में पावन जबै लगीं।
कहै रत्नाकर सु ग्वालिन की झौर-झौर
दौरि-दौरि नन्द पौरि,आवन सबै लगीं।
उझकि-उझकि पद-कंजनी के पंजनी पै,
पेखि-पेखि पाती,छाती छोहन सबै लगीं।
हमको लिख्यौ है कहा,हमको लिख्यौ है कहा,
हमको लिख्यौ है कहा,पूछ्न सबै लगी।।"
द्रुत विलम्बित छंद किसे कहते है?
प्रत्येक चरण में 12 वर्ण, एक नगण, दो भगण तथा एक सगण होते है।
उदाहरण:-
"दिवस का अवसान समीप था,
गगन था कुछ लोहित हो चला।
तरु शिखा पर थी अब राजती,
कमलिनी कुल-वल्लभ की प्रभा।।"
मालिनी छंद किसे कहते है?
इस वार्णिक सम वृत्त छंद मे 15 वर्ण,दो तगण,एक मगण तथा दो यगण होते हैं। आठ एवं सात वर्ण एवं विराम होता है।
उदाहरण:-
"प्रभुदित मथुरा के मानवों को बना के,
सकुशल रह के औ विध्न बाधा बचाके।
निज प्रिय सूत दोनों , साथ ले के सुखी हो,
जिस दिन पलटेंगे, गेह स्वामी हमारे।।"
मंदाक्रांता छंद किसे कहते हैं?
उदाहरण:-
"कोई क्लांता पथिक ललना चेतना शून्य होक़े,
तेरे जैसे पवन में , सर्वथा शान्ति पावे।
तो तू हो के सदय मन, जा उसे शान्ति देना,
ले के गोदी सलिल उसका, प्रेम से तू सुखाना।।"
इन्द्र्व्रजा छंद किसे कहते हैं?
प्रत्येक चरण में11 वर्ण, 2 जगण तथा अंत में 2 गुरु होते हैं।
उदाहरण:-
"माता यशोदा हरि को जगावै।
प्यारे उठो मोहन नैन खोलो।
द्वारे खड़े गोप बुला रहे हैं।
गोविन्द, दामोदर माधवेति।।"
उपेन्द्रव्रजा छंद किसे कहते हैं?
इसमें प्रत्येक चरण में 11वर्ण , 1 नगण, 1 तगण, 1जगण और अंत में 2 गुरु होते हैं।
उदाहरण:-
"पखारते हैं पद पद्म कोई,
चढ़ा रहे हैं फल -पुष्प कोई।
करा रहे हैं पय-पान कोई
उतारते श्रीधर आरती हैं।।"
अरिल्ल छंद किसे कहते हैं?
प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती है, चरण के अंत में लघु अथवा यगण (lSS) होना चाहिए।
उदाहरण:-
"मन में विचार इस विधि आया।
कैसी है यह प्रभुवर माया।
क्यों आगे खड़ी है विषम बाधा।
मैं जपता रहा, कृष्ण-राधा।।
लावनी छंद किसे कहते हैं?
प्रत्येक चरण या दल में 22 मात्राएँ तथा चरण के अंत में गुरु ( S ) होते हैं।
उदाहरण:-
"धरती के उर पर जली अनेक होली।
पर रंगों से भी जग ने फिर नहलाया।
मेरे अंतर की रही धधकती ज्वाला।
मेरे आँसू ने ही मुझको बहलाया।।"
राधिका छंद किसे कहते हैं?
प्रत्येक चरण में 22 मात्राएँ होती हैं।13 और 9 पर यति (विराम) होता है।उदाहरण:-
"बैठी है वसन मलीन पहिन एक बाला।
बुरहन पत्रों के बीच कमल की माला।
उस मलिन वसन म, अंग-प्रभा दमकीली।
ज्यों धूसर नभ में चंद्रप्रभा चमकीली।।"
दिग्पाल छंद किसे कहते हैं?
इस छंद के प्रत्येक चरण में 12-12 के विराम से 24 मात्रा होती है।उदाहरण:-
"हिमाद्रि तुंग-श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती।
स्वयं प्रभा समुज्ज्वला स्वतंत्रता पुकारती।
अमर्त्य वीर पुत्र तुम, दृढ प्रतिज्ञ सो चलो।
प्रशस्त पुण्य-पंथ है, बढ़े चलो-बढ़े चलो।।"
त्रोटक छंद किसे कहते हैं?
इसके प्रत्येक चरण में12 मात्रा तथा 4 सगण होते हैं।उदाहरण:-
"शशि से सखियाँ विनती करती,
टुक मंगल हो विनती करतीं।
हरि के पद-पंकज देखन दै
पदि मोटक माहिं निहारन दै।।"
भुजंगी छंद किसे कहते है?
प्रत्येक चरण में11 वर्ण तथा तीन सगण, एक लघु तथा एक गुरु होते हैं।
उदाहरण:-
"ना माधुर्य का तेरा भी पार है,
महा मोद भागीरथी सी भरी।
करो स्नान आओ शान्ति से,
मिले मुक्ति ऐसी न पाते यती।।"
उदाहरण:-
"ना माधुर्य का तेरा भी पार है,
महा मोद भागीरथी सी भरी।
करो स्नान आओ शान्ति से,
मिले मुक्ति ऐसी न पाते यती।।"
वियोगिनी छंद किसे कहते हैं?
इसके सम(दुसरे और चौथे) चरणों में 11-11 तथा विषम(पहले और तीसरे) चरणों में10 वर्ण होते हैं। विषम चरणो में दो सगण, एक जगण और एक सगण तथा लघु और एक गुरु होते हैं।उदाहरण:-
"विधि ना कृपया प्रबोधिता,
सहसा मानिनि सुख से सदा
करती रहती सदैव ही
करुण की मद-मय साधना।।"
वंशस्थ छंद किसे कहते हैं?
इसके प्रत्येक चरण में 12 वर्ण, एक नगण, एक तगण, एक जगण तथा एक रगण होते हैं।उदाहरण:-
"गिरिन्द्र में व्याप्त विलोकनीय थी,
वनस्थली मध्य प्रशंसनीय थी
अपूर्व शोभा अवलोकनीय थी
असेत जम्बालिनी कूल जम्बुकीय।।"
इस पोस्ट में छंद क्या है से सम्बंधित पूरी जानकारी शेयर किया गया है , इस पोस्ट को अपने सभी दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करे जिससे उनकी भी कुछ हेल्प हो सके धन्यवाद इस पोस्ट को पढ़ने के लिए -
छंद से संबंधित अच्छी जानकारी बताई सर जी धन्यवाद
ReplyDelete